रमजान के 30 रोजों के बाद चांद देखकर ईद मनाई जाती है। साथ ही जब भी हम ईद की बाद करते हैं तो सेवइयों और इफ्तार पार्टी का भी जिक्र आता है। इस साल ईद का त्योहार 26 जून को मनाई जा रही है। ईद को ईद-उल-फ़ित्र भी कहा जाता है।
624 ईस्वी में पहला ईद-उल-फ़ित्र मनाया गया था। पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। यह त्योहर उसी खुशी में मनाया गया था।
इस्लामिक कैलेंडर में दो ईद मनाई जाती हैं। दूसरी ईद जो ईद-उल-जुहा या बकरीद के नाम से भी जानी जाती है। ईद-उल-फ़ित्र का यह त्योहार रमजान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर नए महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है।
रमज़ान के पूरे महीने रोजे रखने के बाद इसके खत्म होने की खुशी में ईद के दिन कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। सुबह उठकर ईदगाह और मस्जिदों में नमाज अदा की जाती है और ख़ुदा का शुक्र अदा किया जाता है कि उसने पूरे महीने हमें रोजे रखने की शक्ति दी।
इस दिन इस्लाम को मानने वाले का फर्ज होता है कि अपनी हैसियत के हिसाब से जरूरतमंदों को दान दें। इस दान को इस्लाम में जकात और फितरा भी कहा जाता है।
अल्लाह की रहमत
ईद के त्योहार पर लोग ईदगाह में नमाज पढ़ने जाते हैं। इसके बाद एक दूसरे के गले मिलते हैं और ईद मुबारक बोलते हैं। इतना ही नहीं सब लोग साथ में मिलकर खाना भी खाते हैं। कहा जाता है कि आपसी प्रेम व भाईचारे को अपनाने वालों पर अल्लाह की रहमत बरसती है।
Text Source : Patrika.com
Eid mubarak to all